क्या आपको पता है हिमाचल में चलती है ऐसी ट्रेन नहीं जहा लेनी नहीं पड़ती टिकट जाने यह ट्रेन कहाँ चलती है कौन सा स्टेशन है?
भारतीय रेलवे दुनिया में चौथा सबसे लंबा रेलवे नेटवर्क ( Largest Railway Network) है, जबकि एशिया में दूसरा. अगर भारतीय रेलवे के कुछ नेक्सस की बात करें तो देश में रेलवे ट्रैक की लंबाई 68 हज़ार किलोमीटर से भी ज्यादा है. देश के अलग-अलग भाषा और संस्कृति वाले राज्यों को रेलवे नेटवर्क एक तार में जोड़ता है. रेलवे से लाखों-करोड़ों लोग यात्राएं करते हैं लेकिन शायद ही उन्हें कभी मुफ्त (Indian Railway Free Route) में यात्रा करने को मिली हो.
यह ट्रेन भाखड़ा और नंगल के बीच पंजाब - हिमाचल प्रदेश में चलती है। कुल दूरी 13 किलोमीटर है, जिसमें 6 स्टेशन हैं।भाखड़ा-नांगल बांध के निर्माण में भी इस रेल रूट का खास योगदान रहा है इसे भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) द्वारा चलाया जाता है , जिसमें BBMB के कर्मचारियों के अलावा आम जनता - ज्यादातर विद्यार्थी , सैलानी आदि मुफ्त में सफर करते हैं।
इसकी शुरुआत 1948 में नंगल में बांध निर्माण हेतु कर्मचारियों और भारी मशीनों को ले जाने हेतु हुआ था ।
हिमाचल प्रदेश में क्यों फ्री है रेलवे का खास रूट ?
भाखड़ा नांगल ट्रेन Bhakra Beas Management Board की ओर से मैनेज की जाती है. हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बॉर्डर पर चलने वाली ट्रेन का 13 किलोमीटर लंबा काफी खूबसूरत है. ट्रेन रूट सतलज नदी से होकर जाती है और इस रूट पर यात्रियो से कोई किराया नहीं वसूला जाता, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग आकर भाखड़ा-नागल बांध को देख सकें. 70 सालों से इस रूट पर ये ट्रेन चल रही है. ट्रेन में पहले 10 बोगियां थीं, लेकिन अब 3 ही रह गई हैं. ये सभी लकड़ी की बनी हुई हैं. इसे BBMB के कर्मचारी हेरिटेज की तरह देखते हैं और यहां आने वाले पर्यटकों का स्वागत करते हैं. ये ट्रेन रूट पहाड़ों को काटकर डैम तक जाता है. इसे देखने सैकड़ों यात्री आते हैं, लेकिन छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा होती है.पहले स्टीम इंजन से चलती थी शुरुआत में ये ट्रेन स्टीम इंजन के साथ चलती था। बाद में 1953 में अमेरिका से तीन डीजल इंजल लाए गए। इसके बाद ये ट्रेन डीजल इंजन से चलने लगी। इन तीन में से दो इंजन अभी भी चालू हालत में हैं जबकि एक नंगल स्टेशन पर रखरखाव के अधीन है।
सैर करने आते हैं सैकड़ों लोग .
भागड़ा-नांगल बांध को बनाते वक्त भी रेलवे के ज़रिये काफी मदद ली गई थी. इसका निर्माण कार्य 1948 में शुरू हुआ और मज़दूरों-मशीनों को ले जाने के लिए रेलवे ट्रैक बनाकर इस्तेमाल किया गया. बांध 1963 में औपचारिक तौर पर खुला और ये सबसे ऊंचे स्ट्रेट ग्रैविटी डैम के तौर पर मशहूर है. भाखड़ा-नंगल ट्रेन 18 से 20 लीटर डीजल प्रति घंटे की खपत के साथ शिवालिक पहाड़ियों से होते हुए 13 किलोमीटर की दूरी तय करती है। ट्रेन के ड्राइवर आत्मा राम का कहना है कि ट्रैक पर तीन टनल हैं और छह स्टेशन हैं। वहीं इस ट्रेन में रोजाना करीब 800 यात्री सफर करते हैं। अगली पीढ़ी इस विरासत को देखने के लिए यहां आती रहे. ट्रेन से भाखड़ा के आसपास के गांव बरमला, ओलिंडा, नेहला भाखड़ा, हंडोला, स्वामीपुर, खेड़ा बाग, कालाकुंड, नंगल, सलांगड़ी सहित तमाम जगहों के लोग यात्रा करते हैं.


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