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शिमला की इस जगह पर है बरोग सुरंग # 33 'भूत का साया', जानिए इसकी पूरी कहानी !

 शिमला की इस जगह पर है बरोग सुरंग # 33 'भूत का साया', जानिए इसकी पूरी कहानी ! 

कालका से शिमला की कुल दूरी रेल लाइन के माध्यम से कुल 96 किलोमीटर है इसी रेलवे लाइन को बनाने के लिए कुल 103 सुरंगों का निर्माण किया गया था ये रेलवे 1903 में बनकर तैयार हुई थी। और इसे 2008 में वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल कर लिया गया है।अब बात करते हैं सुरंग संख्या 33 की । इस सुरंग का नाम बड़ोग सुरँग है इसके बनने की कहानी कुछ दिलचस्प और दुखदायी भी है। बड़ोग सुरँग कालका से 41 किलोमीटर दूर है। इस सुरंग को बनाने की जिम्मेदारी अंग्रेजों के इंजीनियर कर्नल बड़ोग को दी गई थी। उन्होंने सुरँग बनाने से पहले पहाड़ी का अच्छे से मुआयना किया दोनों तरफ से खुदाई शुरू करवा दी उनके अनुसार सुरँग बीच मे आकर मिल जानी थी पर ऐसा न हुआ दोनों छोर के दूसरे से न मिल पाए। जब अंग्रेजी सरकार को इसका पता चला तो उन्होंने कर्नल बड़ोग को डांट लगाई और उन पर 1₹ का जुर्माना लगा दिया। ये बात कर्नल बड़ोग को बहुत बुरी लगी एक दिन कर्नल बड़ोग सुबह घूमने के बहाने निकलते हैं और सुरंग के पास जाकर खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर लेते हैं।इसके बाद इस सुरँग को बनाने की जिम्मेदारी HS हर्लिंगटन को सौंपी गई लेकिन उन्हें भी काफी दिक्कतें आयीं बाद में बाबा हल्कू जी ने इस सुरँग को बनाने में हर्लिंगटन की सहायता की और इस सुरंग का  कर्नल बड़ोग से ही रखा गया। बाबा हल्कू ने ही आगे वाली सुरंगों का मुआयना किया था। 


अब फिर से बात करते हैं 33 सुरँग की तो आज भी इस सुरँग में कुछ विचित्र आवाजें यानी कि भूतिया आवाजें सुनी जाने का दावा किया जाता है कुछ लोग कर्नल बड़ोग को भी देखने का दावा कर चुके हैं हालांकि जो कर्नल बड़ोग ने सुरँग का काम करवाया था वो अभी बाली सुरँग से 1 किलोमीटर दूर है। फिर कुछ अप्रिय घटना यहां होती रहती है। इस सुरँग की ख़ासियत ये है 1143 मीटर लम्बी ये सुरँग विश्व की सबसे सीधी सुरँग है कर्नल बड़ोग की मौत के बाद 1900 में सुरंग पर एचएस हर्लिंग्टन ने फिर से काम शुरू किया और 1903 में सुरंग पूरी तरह कर दी गई। ब्रिटिश सरकार ने इंजीनियर के नाम से ही सुरंग का नाम बरोग सुरंग रख दिया। ऐसा कहा जाता है कि एचएस हर्लिंगटन भी इस सुरंग को बना नहीं पा रहे थे। आखिर में चायल के रहने वाले बाबा भलकू ने इस काम को पूरा करवाया। बाबा भलकू ने इस लाइन पर कई अन्य सुरंगें खोदने में ब्रिटिश सरकार की मदद की थी ऐसा कहा जाता है कि कर्नल बरोग आज भी सुरंग के आसपास घूमता है। लोगों ने उसकी आत्मा आज को बात करते हुए देखा है। कई स्थानीय लोगों ने यहां पूजा-पाठ भी करवाया है, लेकिन इंजीनियर की आत्मा तब भी दिखाई देती है। लोगों ने उसके चिल्लाने की आवाजें भी सुनी हैं। 





डिस्क्लेमर: ये लेख सामान्य जानकारियों के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है। यहां बताई गई चीजों की हम पुष्टि नहीं करते हैं।


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